अपनी श्रद्धा को दृढ़ करने के लिए हम विभिन्न अभियानों को अपनाने के लिए सदैव तत्पर रहते हैं. श्री गुरु के प्रवचन सुनते और पढ़ते हैं .ध्यान, समाधि, प्राणायाम, रैकी का अभ्यास करते हैं लेकिन क्या इतना काफी है
एक सर्व सामान्य जीवन जीने में और एक साधक के रूप में जीवन जीने में क्या अंतर है
जीवन में हम आध्यात्मिक अभ्यास करते हैं जिन्हें दो विभिन्न श्रेणियों में विभाजित कर सकते हैं पहला अभ्यास शिविर में जाते हैं सत्संग करते हैं और अपने अनुभवों को शेयर करते हैं उसे ही साधना कहते हैं दूसरा सार्वभौमिक अभ्यास है दक्षिणा.
हमारे जीवन में कभी ना कभी ऐसा प्रसंग आता है जब हमें बोध हो जाता है कि देना हमारी साधना का एक आवश्यक अंग है और उसमें एक अनोखा आनंद है.
जब हम जीवन के इस अभ्यास को अपनी संपत्ति अपने धन के एक भाग को योगिक अभ्यास के रूप में अर्पण करते हैं दक्षिणा का अभ्यास हमारे इस भाव को दूर करता है कि हमारे पास देने को पर्याप्त नहीं है. दक्षिणा का अभ्यास विशिष्ट रूप से हमारी हमारी मनोवृत्ति को शुद्ध परिशुद्ध करता है.
स्वामी पूर्णानंद 〈अपूर्व गुरुजी〉 के सानिध्य में आपको भी एक अवसर
दिव्य दर्शन योग संस्था «रजिस्टर्ड ट्रस्ट» 〈इनकम टैक्स में छूट 80G के तहत रजिस्टर्ड〉 में दक्षिणा अभ्यास की शुरुआत कर सकते हैं .
ट्रस्ट का अकाउंट डिटेल
ट्रस्ट का नाम – दिव्य दर्शन योग संस्था
Account Name – Divya Darshan Yoga Sanstha
Bank Name – State Bank Of India , Maheshwar Road , Barwah
Account No. – 32977200842
IFSC C0de – SBIN0030029